BJP 55 पार सियासत दमदार, 70 पार राजनीति से दरकिनार !

Edited By Afjal Khan, Updated: 12 Feb, 2023 06:26 PM

bjp is strong in politics beyond 55 sidelined in politics beyond 70

राजस्थान में बीजेपी के सबसे वरिष्ठ नेता गुलाब चंद कटारिया को राज्यपाल बनाए जाने के बाद अब यहां पर एक नई चर्चा तेज हो गई है। कहा जा रहा है कि अब बीजेपी में नया चलन शुरू हो गया है। जिसमें 55 पार नेता सियासी अखाड़े में और 70 पार राजभवन जैसी जगह बिठाए...

राजस्थान में बीजेपी के सबसे वरिष्ठ नेता गुलाब चंद कटारिया को राज्यपाल बनाए जाने के बाद अब यहां पर एक नई चर्चा तेज हो गई है। कहा जा रहा है कि अब बीजेपी में नया चलन शुरू हो गया है। जिसमें 55 पार नेता सियासी अखाड़े में और 70 पार राजभवन जैसी जगह बिठाए जाएंगे। दावा किया जा रहा है कि इसके लिए पूरी तैयारी पिछले 5 साल से हो रही है। 

इन पांच नेताओं पर बीजेपी चलेगी दांव!

दरअसल केंद्र से लेकर राज्य तक पांच नेताओं को बड़ी जिम्मेदारी मिली है। जिनमें कोटा के सांसद ओम बिड़ला को जब लोकसभा अध्यक्ष बनाया गया तब उनकी उम्र 56 साल थी। राजस्थान से मोदी कैबिनेट में तीन मंत्री ऐसे हैं जिनकी उम्र 60 से कम की है। ओम बिड़ला अभी 60 की उम्र में पहुंच गए हैं। इन्हें हाड़ौती संभाग में बड़ा मजबूत नेता माना जाता है। जोधपुर से दो बार के लगातार बीजेपी सांसद गजेंद्र सिंह शेखावत मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं। इनकी भी उम्र 55 साल है। शेखावत को जब मंत्री की कमान मिली थी तब उनकी उम्र मात्र 50 साल थी। वहीं अश्वनी वैष्वण मोदी सरकार में रेलमंत्री है। कैबिनेट मंत्रियों में इन्हें मजबूत माना जा रहा है। इनकी भी उम्र मात्र 52 साल है। 

कटारिया बने राज्यपाल, राजनीतिक पारी पर लगी लगाम !

जयपुर जिले की आमेर विधानसभा सीट से पहली बार विधायक बने डॉ. सतीश पूनिया राजस्थान बीजेपी के अध्यक्ष हैं। पहली बार विधानसभा का चुनाव जीता और बीजेपी अध्यक्ष बना दिए गए। पूनियां की उम्र अभी 60 साल से कम है। इसी कड़ी में मंत्री कैलाश चौधरी भी चर्चा में है। बाड़मेर लोकसभा क्षेत्र से पहली बार सांसद बने और मोदी कैबिनेट में मंत्री बना दिए गए कैलाश चौधरी इसके पहले बाड़मेर जिले की बायतु विधानसभा सीट से विधायक रहे है। इनकी उम्र 49 साल है। वसुंधरा राजे 69 साल की हैं। वहीं कैलाश मेघवाल 80 पार अपनी सियासी पारी खेल रहे हैं। नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया की उम्र 78 साल है। कटारिया नेता प्रतिपक्ष के बाद खुद को मुख्यमंत्री पद की रेस में मान रहे थे, लेकिन राज्यपाल पद पर नियुक्ति से उनकी सक्रिय राजनीतिक पारी पर लगाम लग गई है।

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