Edited By Liza Chandel, Updated: 27 Jan, 2025 01:42 PM
यूडीए आयुक्त राहुल जैन द्वारा जारी नोटिस के अनुसार, जब इस मामले की जानकारी प्रकाश में आई, तो तत्काल ऑडिट करवाई गई। प्रारंभिक जांच में यह स्पष्ट हुआ कि बड़े पैमाने पर राजस्व हानि हुई है। यह अनियमितताएं उस समय की हैं जब प्राधिकरण, नगर विकास प्रन्यास...
उदयपुर विकास प्राधिकरण में अब तक का सबसे बड़ा घोटाला
उदयपुर विकास प्राधिकरण में 500 करोड़ रुपए की राजस्व हानि का एक बड़ा मामला सामने आया है। इस गंभीर मुद्दे को लेकर आयुक्त राहुल जैन ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी करते हुए सात दिनों के भीतर जवाब देने के निर्देश दिए हैं। इस खुलासे के बाद पूरे प्रशासनिक तंत्र में हलचल मच गई है, और मामले की गहराई से जांच शुरू कर दी गई है।
मामले की पृष्ठभूमि और प्रारंभिक जांच
यूडीए आयुक्त राहुल जैन द्वारा जारी नोटिस के अनुसार, जब इस मामले की जानकारी प्रकाश में आई, तो तत्काल ऑडिट करवाई गई। प्रारंभिक जांच में यह स्पष्ट हुआ कि बड़े पैमाने पर राजस्व हानि हुई है। यह अनियमितताएं उस समय की हैं जब प्राधिकरण, नगर विकास प्रन्यास (यूआईटी) के रूप में कार्य कर रहा था। इस दौरान जमीनों के आवंटन पत्र और लीज डीड जारी करने की प्रक्रिया में गड़बड़ियां की गईं।
विशेष रूप से, यूआईटी के पूर्व सचिव समेत अन्य अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध पाई गई, और इसीलिए उन्हें नोटिस जारी किया गया है। नोटिस में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि सात दिनों के भीतर जवाब प्रस्तुत किया जाए, अन्यथा आवश्यक कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
कैसे उजागर हुई अनियमितताएं?
यूडीए आयुक्त ने बताया कि सामान्य अंकेक्षण विभाग प्रत्येक वर्ष विभिन्न विषयों पर ऑडिट करता है। इसमें मुख्य रूप से सरकारी चार्जों में अनियमितता, नियमों की अवहेलना, और जमीनों के प्लान पास करवाने जैसी प्रक्रियाओं की जांच की जाती है। इसी क्रम में इस बार के ऑडिट में यह पाया गया कि कई स्थानों पर सरकारी नियमों की अवहेलना कर प्लान पास किए गए थे। इस दौरान जमीनों के आवंटन और लीज़ डीड जारी करने में भारी अनियमितताएं सामने आईं।
जांच रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि यह कार्य रसूखदारों की मिलीभगत से किया गया था। अधिकारियों ने जानबूझकर नियमों का उल्लंघन कर इन प्रक्रियाओं को अंजाम दिया। नोटिस में यह भी बताया गया है कि किन-किन जमीनों पर कितनी राशि की राजस्व हानि हुई है।
कहां हुई गड़बड़ियां और नियमों का उल्लंघन
आयुक्त राहुल जैन ने बताया कि नियमों के अनुसार प्लान पास करवाने के लिए 60 और 40 का अनुपात रखना अनिवार्य होता है। यानी, किसी भी जमीन का 40 प्रतिशत भाग सड़क, पार्क, पार्किंग और अन्य सार्वजनिक सुविधाओं के लिए छोड़ना होता है। लेकिन ऑडिट में यह पाया गया कि इस अनुपात का पालन नहीं किया गया।
कुछ स्थानों पर यह अनुपात 80:20, तो कहीं 75:25 रखा गया। इसका सीधा अर्थ यह है कि प्राइवेट भूमि स्वामियों को अनुचित लाभ पहुंचाने के लिए सरकारी नियमों को नजरअंदाज किया गया। इन अनियमितताओं के कारण सरकारी खजाने को 500 करोड़ रुपये की भारी क्षति हुई।
प्रभावित क्षेत्र और संबंधित अधिकारी
प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार, यह गड़बड़ियां शहर के कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में हुई हैं, जहां बड़े पैमाने पर भूमि आवंटन हुए थे। इनमें मुख्य रूप से आवासीय और व्यावसायिक परियोजनाएं शामिल हैं। अनियमितताएं करने वाले अधिकारियों की सूची भी तैयार की जा रही है, जिसमें यूआईटी के पूर्व सचिव समेत अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं।
क्या होगी अगली कार्रवाई?
इस पूरे मामले की गंभीरता को देखते हुए, संबंधित अधिकारियों को नोटिस भेजकर सात दिनों के भीतर जवाब देने के लिए कहा गया है। यदि समय सीमा के भीतर संतोषजनक जवाब नहीं दिया गया, तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
यूडीए आयुक्त ने स्पष्ट किया कि नोटिस का जवाब मिलने के बाद पूरी रिपोर्ट राज्य सरकार को भेजी जाएगी। वहां से जो भी निर्णय लिया जाएगा, उसी के अनुसार आगे की कार्रवाई होगी।
भविष्य के लिए उठाए जाने वाले कदम
इस मामले से सबक लेते हुए, यूडीए अब और अधिक सख्ती से नियमों को लागू करने की योजना बना रहा है। प्रशासन द्वारा भविष्य में इस तरह की अनियमितताओं को रोकने के लिए कई कदम उठाए जाएंगे, जिनमें प्रमुख हैं:
- ऑडिट की प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी बनाना – प्रत्येक वर्ष विभिन्न विभागों में सघन ऑडिट किए जाएंगे, ताकि समय रहते अनियमितताओं का पता लगाया जा सके।
- डिजिटल रिकॉर्ड की व्यवस्था – सभी भूमि आवंटन और लीज डीड की प्रक्रियाओं को पूरी तरह डिजिटल किया जाएगा, जिससे किसी भी प्रकार की गड़बड़ी की संभावना कम हो जाएगी।
- जवाबदेही तय करना – अधिकारी स्तर पर जिम्मेदारियां स्पष्ट की जाएंगी और किसी भी प्रकार की अनियमितता पर तत्काल कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
- नियमों का सख्ती से पालन – भूमि आवंटन और प्लान पास करने के लिए निर्धारित अनुपात का कड़ाई से पालन किया जाएगा। यदि कोई उल्लंघन पाया जाता है, तो संबंधित अधिकारी के खिलाफ तत्काल दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।
- जनता की भागीदारी सुनिश्चित करना – पारदर्शिता बढ़ाने के लिए आम नागरिकों और मीडिया को इस प्रक्रिया में शामिल किया जाएगा, जिससे कोई भी गलत कार्य प्रशासन की नजरों से बच न सके।
उदयपुर विकास प्राधिकरण में 500 करोड़ रुपये की राजस्व हानि का यह मामला निश्चित रूप से प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती है। हालांकि, वर्तमान आयुक्त राहुल जैन ने इसे गंभीरता से लेते हुए त्वरित जांच के आदेश दिए हैं और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए नोटिस जारी किए हैं।
आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि इस मामले में राज्य सरकार का क्या रुख रहता है और दोषी अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की जाती है। यदि इस प्रकरण को सही ढंग से सुलझाया जाता है, तो यह भविष्य में प्रशासनिक सुधारों का मार्ग प्रशस्त कर सकता है और इस तरह की अनियमितताओं को रोकने में सहायक सिद्ध हो सकता है।