Edited By Kuldeep Kundara, Updated: 13 Mar, 2025 04:30 PM
भारत में नहीं दिखेगा 14 मार्च का चंद्र ग्रहण, नहीं रहेगा ग्रहण का सूतक, पूरे दिन कर सकेंगे तो धर्म-कर्म और पूजा-पाठ, होली पर लगेगा साल का पहला चन्द्र ग्रहण
साल 2025 का पहला चंद्र ग्रहण 14 मार्च को सुबह 9:29 मिनट से दोपहर 3:29 मिनट तक रहने वाला है। लेकिन भारत में यह चंद्र ग्रहण नजर नहीं आएगा, इसलिए इसका सूतक काल भी मान्य नहीं होगा। ऐसे में इसका कोई असर होली के त्योहार पर भी नहीं होगा। पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डॉ.अनीष व्यास ने बताया कि साल 2025 में भी चार ग्रहण देखने को मिलेंगे। इनमें से दो सूर्य ग्रहण और दो चंद्र ग्रहण होंगे। वर्ष 2025 में कुल दो चंद्र ग्रहण लगने वाले हैं। इनमें से पहला ग्रहण भारत में नहीं दिखेगा जबकि दूसरा चंद्र ग्रहण भारत में नजर आएगा। पहला चंद्र ग्रहण 14 मार्च 2025 को लगेगा। यह पूर्ण ग्रहण होगा। यह चंद्र ग्रहण धुलंडी के दिन लगेगा। लेकिन भारत में दिखाई नहीं देने के कारण इस चंद्र ग्रहण का भारत में कोई असर नहीं होगा। ये चंद्र ग्रहण यूरोप, अमेरिका, अफ्रीका और पैसिफिक में दिखाई देगा। दूसरा चंद्र ग्रहण 7 सितंबर 2025 को लगेगा। यह चंद्र ग्रहण पितृ पक्ष की शुरुआत में लगेगा और यह भारत में दिखाई देगा, जिससे इसका सूतक काल मान्य होगा। जिन जगहों पर ग्रहण दिखाई देता है, वहां-वहां चंद्र ग्रहण शुरू होने से 9 घंटे पहले सूतक शुरू हो जाता है। चंद्र ग्रहण के सूतक के समय में पूजा-पाठ नहीं किए जाते हैं, मंदिर बंद रहते हैं। ग्रहण खत्म होने के बाद सूतक खत्म होता है। मंदिरों का शुद्धिकरण होता है और फिर पूजा-पाठ आदि धर्म-कर्म किए जाते हैं, लेकिन 14 मार्च का ग्रहण भारत में नहीं दिखने से यहां सूतक भी नहीं रहेगा, इस वजह से पूरे दिन धर्म-कर्म और पूजा-पाठ आदि शुभ काम किए जा सकेंगे।
ज्योतिषाचार्य डॉ.अनीष व्यास ने बताया कि पंचांग के मुताबिक होली फाल्गुन पूर्णिमा के अगले दिन मनाते हैं, जबकि फाल्गुन पूर्णिमा की रात होलिका दहन किया जाता है। इस साल 13 मार्च की रात होलिका दहन किया जाएगा और अगले दिन यानी 14 मार्च 2025 को होली मनाई जाएगी। लेकिन इस साल होली पर साल का पहला चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है, जिससे सभी 12 राशियां प्रभावित हो सकती हैं। बता दें चंद्र ग्रहण 14 मार्च को सुबह 9: 29 मिनट से दोपहर 3: 29 मिनट तक रहेगा। हालांकि भारत में ये चंद्र ग्रहण नहीं नजर आएगा, इसलिए इसका सूतक काल भी मान्य नहीं होगा।
चंद्र ग्रहण की तिथि और समय
ज्योतिषाचार्य डॉ.अनीष व्यास ने बताया कि साल 2025 का पहला चंद्र ग्रहण 14 मार्च को लगेगा। यह ग्रहण फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा के दिन घटित होगा।
उपछाया ग्रहण शुरू- सुबह 9.27 बजे
आंशिक ग्रहण शुरू- सुबह 10.41 बजे
पूर्ण चंद्रग्रहण शुरू- सुबह 11.56 बजे
अधिकतम ग्रहण- दोपहर 12.28 बजे
पूर्ण चंद्रग्रहण समाप्त- दोपहर 1.01 बजे
आंशिक चंद्रग्रहण समाप्त- दोपहर 2.18 बजे
उपछाया चंद्रग्रहण समाप्त- शाम 3.30 बजे
14 मार्च को पहला चंद्र ग्रहण ( पूर्ण चंद्र ग्रहण )
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि साल 2025 का पहला चंद्र ग्रहण 14 मार्च को फाल्गुन मास की शुक्ल पूर्णिमा के दिन लगेगा। यह ग्रहण भारतीय समयानुसार सुबह 10:41 बजे से दोपहर 14:18 बजे तक रहेगा। यह पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा जो मुख्य रूप से ऑस्ट्रेलिया के अधिकांश भाग यूरोप अफ्रीका के अधिकांश भाग, उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका, प्रशांत अटलांटिक आर्कटिक महासागर, पूर्वी एशिया और अंटार्कटिका, आदि क्षेत्रों में दिखाई देगा। यह भारत में दिखाई नहीं देगा, इसलिए इस ग्रहण का धार्मिक दृष्टि से भारत में कोई महत्व नहीं होगा। खगोलीय दृष्टि से यह चंद्र ग्रहण सिंह राशि और उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में लगेगा, इसलिए सिंह राशि और उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में जन्मे लोगों के लिए यह ग्रहण विशेष रूप से प्रभावशाली रहने वाला है। चंद्र ग्रहण के दिन चंद्रमा से सप्तम भाव में सूर्य और शनि विराजमान रहेंगे और चंद्रमा को पूर्ण सप्तम दृष्टि से देखेंगे। ऐसे में इसका प्रभाव और भी गहरा देखने को मिलेगा। इस दिन चंद्रमा से दूसरे भाव में केतु, सप्तम भाव में सूर्य और शनि, अष्टम भाव में राहु, बुध और शुक्र, दशम भाव में बृहस्पति और एकादश भाव में मंगल विराजमान होंगे।
ग्रहण प्रारंभ होने का समय: सुबह 10:41 मिनट
ग्रहण समाप्त होने का समय: दोपहर 2:18 मिनट
इस ग्रहण की कुल अवधि 3 घंटे 37 मिनट की होगी।
भारत में दिखाई नहीं देगा चंद्र ग्रहण
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि यह चंद्र ग्रहण मुख्य रूप से ऑस्ट्रेलिया, यूरोप के अधिकांश भाग, अफ्रीका के बड़े हिस्से, प्रशांत, अटलांटिक और आर्कटिक महासागर, उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका, पूर्वी एशिया तथा अंटार्कटिका में स्पष्ट रूप से देखा जा सकेगा। हालांकि, भारत में इस ग्रहण का दृश्य रूप से अवलोकन संभव नहीं होगा, क्योंकि यह भारतीय समयानुसार दिन में घटित होगा, जब चंद्रमा आकाश में दृष्टिगोचर नहीं होगा।
ग्रहण के समय ग्रहों की स्थिति और प्रभाव
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि ज्योतिषीय दृष्टि से यह चंद्र ग्रहण सिंह राशि और उत्तर फाल्गुनी नक्षत्र में लगेगा, जो इसे विशेष रूप से प्रभावशाली बनाता है। ग्रहण के समय चंद्रमा अपनी राशि सिंह में रहेगा। जबकि सूर्य और शनि चंद्रमा के सातवें भाव में स्थित होकर उस पर पूर्ण सप्तम दृष्टि डालेंगे, जिससे ग्रहण का प्रभाव तीव्र होगा। केतु चंद्रमा के द्वितीय भाव में स्थित रहेगा, जिससे मानसिक तनाव की स्थिति बन सकती है। राहु, बुध और शुक्र चंद्रमा के आठवें भाव में स्थित होंगे, जिससे कुछ राशियों पर मिश्रित प्रभाव पड़ेगा। गुरु (बृहस्पति) चंद्रमा के दशम भाव में रहेगा, जिससे धार्मिक और आध्यात्मिक प्रवृत्तियों में वृद्धि होगी। मंगल चंद्रमा के एकादश भाव में स्थित रहेगा, जो साहस और ऊर्जा को बढ़ाने का कार्य करेगा।
प्राकृतिक आपदाओं की आशंका
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि चंद्र ग्रहण की वजह से प्राकृतिक आपदाओं का समय से ज्यादा प्रकोप देखने को मिलेगा। इसमें भूकंप, बाढ़, सुनामी, विमान दुर्घटनाएं का संकेत मिल रहे हैं। प्राकृतिक आपदा में जनहानि कम ही होने की संभावना है। फिल्म एवं राजनीति से दुखद समाचार। व्यापार में तेजी आएगी। बीमारियों में कमी आएगी। रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। आय में इजाफा होगा। वायुयान दुर्घटना होने की संभावना। पूरे विश्व में राजनीतिक अस्थिरता यानि राजनीतिक माहौल उच्च होगा। राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप ज्यादा होंगे। सत्ता संगठन में बदलाव होंगे। पूरे विश्व में सीमा पर तनाव शुरू हो जायेगा। आंदोलन, हिंसा, धरना प्रदर्शन हड़ताल, बैंक घोटाला, उपद्रव और आगजनी की स्थितियां बन सकती है।