Edited By Kuldeep Kundara, Updated: 14 Oct, 2025 08:41 PM

दक्षिण राजस्थान के झालावाड़ ज़िले में झालरापाटन तहसील से लगभग 15 किमी दूर, झालरापाटन से कनवाड़ा कनवाड़ी मार्ग पर स्थित, ऐतिहासिक धार्मिक स्थल से लगभग 5 किमी दूर परोलिया में राधे गो सेवा समिति गौशाला स्थित हैं
दक्षिण राजस्थान के झालावाड़ ज़िले में झालरापाटन तहसील से लगभग 15 किमी दूर, झालरापाटन से कनवाड़ा कनवाड़ी मार्ग पर स्थित, ऐतिहासिक धार्मिक स्थल से लगभग 5 किमी दूर परोलिया में राधे गो सेवा समिति गौशाला स्थित हैं जो तहसील एवं जिले की सबसे बड़ी गौशाला है। यह 4 बीघा में फैली एक हाई-टेक गौशाला है, जो अपनी आधुनिक सुविधाओं के लिए जानी जाती है। इस गोशाला गिर गाय के नस्ल सुधार के साथ ही दूध उत्पादन बढ़ने की दिशा में एक बड़ा फैसला लिया है
यह कार्य कई वर्षों से मालवीय नस्ल की गायों से अच्छी नस्ल गिर की बछड़ियों का उत्पादन और संवर्धन किया जाता है, जिसके कारण लगभग 400 गायें क्रॉस गिर है, इनकी आने वाली नस्ल शुद्ध गिर होंगी, सचिव पुखराज जैन संचालक लोकेश गाजी ने मीडिया को बताया, 'मैं गिर नस्ल की गायों की संख्या को बढ़ाना चाहता हूं। हम लगभग 15 वर्षों से गिर नस्लों के सांड की मदद से देसी गाय से गिर नस्ल की गायों की संख्या को बढ़ाने का काम कर रहे है । अभी हमारी गौशाला में करीब 400 क्रॉस गिर नस्ल की गौ माता हैं, गौशाला में गोपाल एवं राजा नाम के दो गिर नस्ल के सांड है । गिर नस्ल की गाय काफी विनम्र स्वभाव की होती हैं और शांत रहती हैं। उनके साथ काम करना आसान माना जाता है।
झालावाड़ की अनूठी गौशाला
चारों ओर से खुली होने के बावजूद खास तकनीक से चिल्ड गायों को भीषण गर्मी से बचाने के लिए सचिव जैन,संचालक गाजी ने किए विशेष उपाय, फॉगिंग मशीन लगाई गई है, क्योंकि गाय की सेवा करना भगवान की सेवा करने के बराबर है, गाय जितना सीधा प्राणी इस धरती पर कोई नहीं है, सभी लोगों को इस प्रकार के काम में सहयोग करना चाहिए, "वहीं ठंड से बचने के पुख्ता बंदोबस्त की व्यवस्था देखने को मिली, ठंड से बचाव के लिए यहां पर एक लगभग 4 बीघा में टीन शेड का बरामदा मिला,
हम जैसे ही गौशाला में गए तो वहां का नज़ारा देखा जैसे गौ धूलि वेला एवं मकर संक्रांति में गायों के सौंदर्यमय दर्शन के लिए लालायित देवता भी गौ शाला में गौ सेवा करने के लिए होड़ में लगे हुए होते हैं, ऐसा ही एक अविश्वसनीय स्थान जहां 400 गायों की सेवा की जा रही हैं। हरे चारे के लिए आसपास के ग्रामीणों सहित सभी ने जिम्मा उठा कर हरा चारा,गुड, गौ खाद्याम की व्यवस्था कर राखी हैं, पेय जल के लिए ट्यूबवेल हैं जिसमे मीठा जल पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं खाने एवं पीने के लिए खलो का इंतजाम कर रखा हैं, गौ माता की देखभाल का जिम्मा गौशाल अध्यक्ष एवं समिति के सदस्यों पर है, जिसके चलते गौशाला में सफाई से लेकर सभी व्यवस्थाएं संतोषजनक नजर आईं
गायों को लेकर लोगों को सामाजिक संदेश भी देते हैं, उनके मुताबिक, "हिंदू धर्म शास्त्रों में गाय को माता ऐसे ही नहीं कहा गया है, गाय का दूध, गोबर और मूत्र सब कुछ इंसानों के लिए एक औषधि के रूप में काम आता हैं, पर लोग दूध ना देने पर गाय को छोड़ देते हैं, उन्हें ऐसा नही करना चाहिए, गाय का इंसान के साथ होना भी अपने आप में बड़ी बात होती है, गाय दुनिया की सबसे सीधी प्राणी में आती है, गाय की सेवा करने से इंसान को विज्ञान और धार्मिक रूप से भी लाभ प्राप्त होता है, ओर गौशाला में पारंपरिक खेती को बढ़ावा देने के लिए निःशुल्क बैलों की जोड़ी भी दी जाती है।
समाज सेवा :- सचिव जैन ने बताया कि दूध का उत्पादन 70 लीटर हो रहा है जिसमें से 25 लीटर दूध जिला अस्पताल में मरीजों के लिए भेजा जा रहा है, उन्होंने बताया कि गौशाला के अध्यक्ष महाराज झंकारेश्वरदास त्यागी पीपाधाम वाले की प्रेरणा से ही आज यह गौशाला चल रही है, भविष्य में अगर संभव हो पाया तो गौ माता नस्ल सुधार में ओर भी नवाचार किए जाएंगे