महाशिवरात्रि पर नईनाथ महादेव की अद्भुत कहानी

Edited By Kuldeep Kundara, Updated: 26 Feb, 2025 06:30 PM

the amazing story of nainath mahadev on mahashivratri

महाशिवरात्रि के मौके पर हम आपको लेकर चल रहे हैं नईनाथ धाम की ओर। एक ऐसा दिव्य स्थल जहां श्रद्धा, चमत्कार और आस्था एक साथ मिलते हैं। राजस्थान के बांसखोह गांव में स्थित यह मंदिर, जयपुर से करीब 40 किलोमीटर और दौसा से 20 किलोमीटर दूर आगरा रोड पर स्थित...

महाशिवरात्रि के मौके पर हम आपको लेकर चल रहे हैं नईनाथ धाम की ओर। एक ऐसा दिव्य स्थल जहां श्रद्धा, चमत्कार और आस्था एक साथ मिलते हैं। राजस्थान के बांसखोह गांव में स्थित यह मंदिर, जयपुर से करीब 40 किलोमीटर और दौसा से 20 किलोमीटर दूर आगरा रोड पर स्थित है। यह मंदिर अपनी अनोखी कहानी और विशेष मान्यताओं के कारण लाखों भक्तों के लिए आस्था का केंद्र बना हुआ है। आइए जानते हैं नईनाथ महादेव मंदिर की अद्भुत कथा!

350 साल पुराना चमत्कारी मंदिर
नईनाथ महादेव मंदिर की स्थापना और नामकरण की एक रोचक कहानी है। यह प्राचीन मंदिर करीब 350 साल पुराना माना जाता है, और यहाँ स्थित शिवलिंग स्वयंभू यानी कि स्वयं प्रकट हुआ है।

मंदिर की अद्भुत कथा
सैकड़ों साल पहले, बांसखोह क्षेत्र में एक राजा का शासन था। उनकी तीन रानियां थीं, लेकिन वर्षों तक उन्हें संतान की प्राप्ति नहीं हुई। राजा और रानियां इस बात से अत्यंत दुखी थे। एक दिन सबसे छोटी रानी को भगवान शिव ने स्वप्न में दर्शन दिए। शिव ने संकेत दिया कि यदि वे पूरे विधि-विधान से उनकी पूजा करें, तो उन्हें संतान का सुख प्राप्त हो सकता है। इस स्वप्न के बाद, तीनों रानियां पास के जंगल में स्थित एक प्राचीन शिव मंदिर में गईं। वहां एक सिद्ध साधु – बावलनाथ बाबा तपस्या कर रहे थे। बाबा ने तीनों रानियों को शिवलिंग की विशेष पूजा करने की सलाह दी। तीनों रानियों में से सबसे छोटी रानी ने बाबा की बात को पूरी श्रद्धा के साथ अपनाया। उसने हर महीने अमावस्या से पहले चतुर्दशी को इस वीरान जंगल स्थित प्राचीन शिव मंदिर में पूजा करने का प्रण किया।

शाही सवारी और आस्था की लहर
हर महीने, छोटी रानी शाही सवारी के साथ मंदिर जाती और बड़े विधि-विधान से भगवान शिव की पूजा-अर्चना करती। धीरे-धीरे, लोगों में इस बात की चर्चा होने लगी, और शाही सवारी को देखने के लिए भीड़ जुटने लगी। भगवान शिव की कृपा से कुछ समय बाद छोटी रानी को संतान सुख प्राप्त हुआ। चूंकि वह नई नवेली दुल्हन थी, इसलिए कहा जाने लगा कि "नई पर नाथ की कृपा हुई"। यही नाम धीरे-धीरे नई का नाथ और फिर नईनाथ महादेव के नाम से प्रसिद्ध हो गया।

बालवनाथ बाबा का धूणा
मंदिर के पास ही बालवनाथ बाबा का धूणा स्थित है, जहां उनके चरणों की पूजा की जाती है। भक्त यहां आकर मन्नत मांगते हैं और बाबा की कृपा प्राप्त करते हैं।
मंदिर के प्रमुख आयोजन और मेलों की धूम
1.अमावस्या से पूर्व चतुर्दशी का मेला: हर महीने अमावस्या से पहले चतुर्दशी को मंदिर में एक विशाल मेला आयोजित होता है, जिसमें दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं।
2.महाशिवरात्रि और श्रावण मास के भव्य मेले: साल में दो बार – महाशिवरात्रि और श्रावण मास में यहाँ विशेष भव्य मेले लगते हैं, जिनमें लाखों की संख्या में शिवभक्त शामिल होते हैं।
3.कांवड़ यात्रा: श्रावण मास में यहाँ कांवड़ यात्राओं की धूम मची रहती है। शिवभक्त बड़ी श्रद्धा और जोश के साथ यहाँ जलाभिषेक करने आते हैं।

तो दोस्तों, यह थी नईनाथ धाम की अद्भुत और आस्था से भरी कहानी। महाशिवरात्रि के इस शुभ अवसर पर, अगर आप भी भगवान शिव की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, तो इस मंदिर के दर्शन जरूर करें।
 

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