दीपावली पर दुविधाः 20-21 अक्टूबर को दोनों दिन अमावस्या, लक्ष्मी पूजन पर उलझन

Edited By Kailash Singh, Updated: 24 Sep, 2025 12:12 PM

diwali dilemma amavasya on both days of october 20 21

दीपावली पर्व इस साल भी असमंजस में है। पिछले वर्ष 2024 में भी 31 अक्टूबर और 1 नवंबर के बीच यही स्थिति बनी थी और अंततः अधिकांश लोगों ने 31 अक्टूबर की अमावस्या रात्रि में ही लक्ष्मी पूजन किया था। इस बार भी 20 और 21 अक्टूबर को लेकर दुविधा गहरी हो गई है।...

दीपावली पर्व इस साल भी असमंजस में है। पिछले वर्ष 2024 में भी 31 अक्टूबर और 1 नवंबर के बीच यही स्थिति बनी थी और अंततः अधिकांश लोगों ने 31 अक्टूबर की अमावस्या रात्रि में ही लक्ष्मी पूजन किया था। इस बार भी 20 और 21 अक्टूबर को लेकर दुविधा गहरी हो गई है। दरअसल, 20 अक्टूबर की दोपहर 3:45 बजे से ही अमावस्या की शुरुआत हो जाएगी और निशित काल (रात का वह मध्य भाग, जब चतुर्थ प्रहर की शुरुआत होती है) तक यह बनी रहेगी। श्री लक्ष्मीनारायण एस्ट्रो सॉल्यूशन अजमेर की निदेशिका ज्योतिषाचार्या एवं टैरो कार्ड रीडर नीतिका शर्मा ने बताया कि दीपावली रात्रिकालीन पर्व है और स्थिर लग्न में प्रदोष व निशित काल के दौरान ही मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की आराधना की जाती है। ऐसे में 20 अक्टूबर की रात को ही दीपावली पूजन करना शास्त्रानुकूल माना जा रहा है। लेकिन दूसरी ओर 21 अक्टूबर को भी स्थिति पूरी तरह अलग नहीं है। इस दिन शाम 5:55 बजे तक अमावस्या तिथि रहेगी और यह उदयव्यापिनी तिथि होगी, जिसे शास्त्रसम्मत माना गया है। प्रदोष काल में अमावस्या स्पर्श करने के कारण 21 अक्टूबर को भी दीपावली मनाना उचित बताया जा रहा है।
ज्योतिषाचार्या एवं टैरो कार्ड रीडर नीतिका शर्मा ने बताया कि दीपावली पर्व का कर्मकाल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या पर प्रदोष काल ( शाम के समय ) में बताया गया है। धर्म सिंधु ग्रंथ के अनुसार यदि अमावस्या प्रदोष काल में दो दिन रहती है तो दूसरे दिन सूर्योदय से शाम तक अमावस्या के दौरान प्रदोष काल में दीपोत्सव मनाने के साथ ही लक्ष्मी पूजन भी किया जा सकता है। इस बार अमावस्या 20 अक्टूबर को दोपहर 3:45 बजे से शुरू होकर 21 अक्टूबर की शाम 5:55 तक रहेगी। शास्त्र के अनुसार प्रदोष काल में अमावस्या तिथि हो उस दिन दीपावली मनाई जाती। 20 अक्टूबर को प्रदोषकाल में अमावस्या तिथि होने के कारण इस दिन दीपावली मनाई जाएगी। 21 अक्टूबर को सूर्योदय के समय अमावस्या ितथि होने के कारण देव पितृ कार्य होंगे। इस दिन कोई त्योहार नहीं मनाया जाएगा। 22 अक्टूबर को गोवर्धन पूजा होगी। मंदिरों में अन्नकूट उत्सव मनाया जाएगा। 23 अक्टूबर को भाई दोज मनाई जाएगी।


ज्योतिषाचार्या एवं टैरो कार्ड रीडर नीतिका शर्मा ने बताया कि धर्म सिंधु पंचांग के अनुसार 2 प्रदोष व्यापिनी अमावस्या है, लेकिन निशित काल 20 अक्टूबर को ही मिलेगा। दीपोत्सव का पर्व रात्रि का माना गया है, तो 20 अक्टूबर को मनाना भी कोई दोष नहीं है। वहीं 21 अक्टूबर को अमावस्या साढ़े तीन प्रहर से अधिक होगी और प्रतिपदा वृद्धि गामिनी होगी, उस हिसाब से 21 अक्टूबर को मनाना भी शास्त्र सम्मत है। इसलिए अगले दिन गोवर्धन पूजा मनाई जाएगी।

ज्योतिषाचार्या एवं टैरो कार्ड रीडर नीतिका शर्मा ने बताया कि 20 अक्टूबर को दीपावली मनाना उचित माना जा रहा है। इस दिन प्रदोष काल में ही अमावस्या लगेगी और यही समय लक्ष्मी-गणेश पूजन का श्रेष्ठ समय है। स्थिर लग्न में पूजा करने से घर में स्थाई लक्ष्मी का वास होता है। वहीं 21 अक्टूबर को स्नान व दान की अमावस्या रहेगी, जो पितरों को समर्पित होती है। हालांकि निर्णय सिंधु के अनुसार 21 को उदयव्यापिनी तिथि मिलेगी व प्रदोष काल में स्पर्श भी रहेगी, तो इस दिन मनाना भी गलत नहीं है।

पंचांग की गणना
कार्तिक अमावस्या तिथिः 20 अक्टूबर दोपहर 3:45 से 21 अक्टूबर शाम 5:55 तक।
निशित कालः 20 अक्टूबर की रात को ही रहेगा। उदयव्यापिनी तिथिः 21 अक्टूबर, जो शास्त्र सम्मत पूजन की ओर इशारा करती है।

6 दिन ऐसे रहेगा दीपोत्सव
18 अक्टूबरः धनतेरस
19 अक्टूबरः रूप चतुर्दशी
20 अक्टूबरः दीपावली 
21 अक्टूबरः स्नान पूजा और दान अमावस्या
22 अक्टूबरः गोवर्धन
23 अक्टूबरः भाई दूज 

प्रदोष काल व स्थिर लग्न होने से 20 को ही दीपावली मनाना श्रेष्ठ 
ज्योतिषाचार्या एवं टैरो कार्ड रीडर नीतिका शर्मा ने बताया कि पंचांग के अनुसार कार्तिक अमावस्या की शुरुआत 20 अक्टूबर दोपहर 3:45 से शुरू होकर 21 अक्टूबर को शाम 5:55 बजे तक रहेगी। इस वजह से दीपावली का त्योहार 20 अक्टूबर को ही मनाना शुभ रहेगा। इस दिन प्रदोष काल यानी शाम को अमावस्या तिथि रहेगी। बता दें कि गणेशजी के साथ लक्ष्मी जी की पूजा स्थिर लग्न में करनी चाहिए। इससे घर में लक्ष्मी का स्थाई वास होता है। स्थिर लग्न में दीपावली 20 अक्टूबर को ही मनाना श्रेष्ठ रहेगा। जबकि 21 अक्टूबर को स्नान और दान की अमावस्या रहेगी। इस दिन पितरों के लिए स्नान और दान की परंपरा है।

पिछले साल भी ऐसा ही हुआ, 31 को मनी थी दीपावली
ज्योतिषाचार्या एवं टैरो कार्ड रीडर नीतिका शर्मा ने बताया कि वर्ष 2024 में भी 31 अक्टूबर दोपहर 3:52 बजे अमावस्या तिथि शुरू हुई थी, जो 1 नवंबर 2024 को शाम 6:16 बजे पर समाप्त हुई थी। अधिकांश लोगों ने 31 अक्टूबर को ही लक्ष्मी पूजन किया था, क्योंकि दीपावली का पर्व प्रदोष काल में मनाया जाता है, जिसमें सूर्यास्त के बाद अमावस्या तिथि होनी चाहिए। 31 अक्टूबर को अमावस्या प्रदोष काल में रही थी।

20 अक्टूबर को लक्ष्मी पूजा मुहूर्त 
प्रदोष काल ( लग्न ) - शाम 05:50 - रात 08:24 तक
वृषभ काल ( लग्न ) - शाम 07:19 - रात 09:16 तक

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