जज्बे के साथ सजगता का परिचय

Edited By Kailash Singh, Updated: 11 May, 2025 12:57 PM

introducing awareness with passion

भारत की पड़ौसी मुल्क के साथ तनातनी के बीच जिले में जिला प्रशासन पूरी तरह सजग दिखा। आम नागरिक सहयोग से पीछे नहीं रहे। ब्लैकआउट हो या अन्य कोई सरकारी आदेश लोगों ने इसका बखूबी पालन किया। मॉकड्रिल के दौरान हुई कुछ ढिलाई को बाद में दुरुस्त कर लिया गया।

हनुमानगढ़, 11 2025 । (बालकृष्ण थरेजा); जज्बे के साथ सजगता का परिचय
भारत की पड़ौसी मुल्क के साथ तनातनी के बीच जिले में जिला प्रशासन पूरी तरह सजग दिखा। आम नागरिक सहयोग से पीछे नहीं रहे। ब्लैकआउट हो या अन्य कोई सरकारी आदेश लोगों ने इसका बखूबी पालन किया। मॉकड्रिल के दौरान हुई कुछ ढिलाई को बाद में दुरुस्त कर लिया गया। प्रशासन के रेड अलर्ट में जिले के नागरिकों का सहयोग सराहनीय रहा। जिला प्रशासन ने आपदा प्रबंधन के कामों का जिस तरह से विकेंद्रीकरण किया उससे प्रशासन की पहुंच अंतिम छोर तक दिखाई दी । ग्राम पंचायत में कंट्रोल रूम की तरह कर्मचारियों के सोशल मीडिया ग्रुप एक्टिव नजर आए। सही और तथ्यात्मक जानकारी समय पर प्रसारित होने से लोग भयभीत होने से भी बच गए। दोनों देशों के बीच  सीजफायर का ऐलान हो चुका है लेकिन प्रशासन अब भी अलर्ट मोड पर है। ब्लैकआउट सीजफायर के बाद भी जारी रहा जिसका लोगों ने राहत के बाद भी पालन किया। ग्राम पंचायत और वार्ड स्तर पर बनी टीमों ने देश के लिए समर्पित होने का भाव दिखाया। छोटे कर्मचारी अपने पदस्थापन स्थल पर रहकर लोगों का हौसला बढ़ा रहे हैं। इस तनाव के बाद भी लोगों पर भय की बजाय देश के प्रति समर्पण का जज्बा दिख रहा है। भारतवासियों के ऐसे हौसले से ही सीमावर्ती इलाकों में लंबे अरसे से सब कुछ सामान्य चल रहा है। राजस्थान के कई जिलों की सीमा पड़ौसी मुल्क से लगती है और इसका असर हमारे जिले पर भी पड़ता है। विकट परिस्थितियों में ऐसी सजगता जाहिर है देश को मजबूत बनाती है।

ट्रेनिंग टूर की चर्चा गायब !
सत्ता वाली पार्टी में प्रदेश के मुखिया से लेकर विधायकों तक को देश के मुखिया के गृह राज्य में प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण शिविर में सत्ता वाली पार्टी के विधायक दल समेत उसे समर्थन दे रहे निर्दलीय विधायक भी पहुंचे। पहले दिन यह प्रशिक्षण शिविर शुरू हुआ तब तक हालात सामान्य थे लेकिन इसी बीच देश का पड़ोसी देश के साथ तनाव हो गया। प्रशिक्षण शिविर खत्म होते ही प्रदेश के मुखिया राजधानी लौटे और प्रदेश के हालातों से निपटने में जुट गए। उन्होंने कानून- व्यवस्था की समीक्षा की तथा सर्वदलीय  बैठक बुलाकर सतर्क रहने तथा प्रशासन का सहयोग करने की अपील की। इन सब घटनाक्रम के चलते प्रशिक्षण शिविर की चर्चा एकदम से गायब हो गई । हालांकि प्रशिक्षण शिविर शुरू होते समय विपक्ष वाली पार्टी से प्रदेश के पूर्व मुखिया ने सत्ता वाली पार्टी पर कई आरोप लगाए थे। उन्होंने प्रदेश के मुखिया समेत कैबिनेट को बड़ी सीख की जरूरत बताई थी। दो देशों की तनातनी के माहौल के बीच प्रशिक्षण शिविर का चर्चा से गायब होना स्वाभाविक था और सत्ता वाली पार्टी भी इसका पूरा माइलेज लेने से चूक गई है। अब सरकार का ध्यान अन्य कामों पर है । उधर सत्ता वाली पार्टी प्रदेश में मंत्रिमंडल फेरबदल और राजनीतिक नियुक्तियों के काम में सीजफायर के ऐलान के बाद जुटने वाली है। इस हफ्ते हालात सामान्य होने के बाद जरूर कुछ नया होगा। इसका परिणाम प्रशिक्षण शिविर से ही जोड़कर देखा जाएगा।

मुलाकातों का सिलसिला देगा कोई संदेश !
विपक्ष वाली पार्टी में प्रदेश के पूर्व मुखिया इन दिनों प्रदेश के नेताओं से खूब मेलजोल कर रहे हैं। उनके सरकारी निवास पर मुलाकात करने के लिए पार्टी के विधायक और अन्य नेता पहुंच रहे हैं। इन सब की मुलाकात के फोटो सोशल मीडिया पर प्रसारित किए जा रहे हैं। इन मुलाकातों में पूर्व मुखिया काफी सक्रिय नजर आ रहे हैं। इन दिनों पूर्व मुखिया की बॉडी लैंग्वेज थोड़ी हलचल वाली है। प्रदेश के और देश के किसी भी मसले पर पूर्व मुखिया का बयान तुरंत जारी हो रहा है। दिल्ली की सरकार द्वारा जाति जनगणना के ऐलान के बाद पूर्व मुखिया ने अपने निवास पर प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की थी। उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में पार्टी के सबसे बड़े नेता को इस जनगणना का ऐलान करवाने का क्रेडिट दिया। अब नेताओं से उनकी मुलाकात के मायने निकाले जा रहे हैं। पूर्व मुखिया की मुलाकात हो सकता है दिल्ली तक कोई संदेश पहुंचा दे या दिल्ली से उन्हें पहले ही कोई संदेश मिल चुका है। पिछले हफ्ते सेना के समर्थन में निकली तिरंगा यात्रा में उन्होंने दिल्ली में सहभागिता की। इस दौरान उनकी पार्टी के बड़े नेताओं से मुलाकात भी हुई। पूर्व मुखिया की सक्रियता और नेताओं से मेल- मुलाकात के बाद अब विपक्ष वाली पार्टी में उनकी भूमिका को लेकर एक बार फिर चर्चा होने लगी है। देश के हालात सामान्य होने पर हो सकता है पार्टी उन्हें कोई बड़ी भूमिका दे दे या प्रदेश में पार्टी की रणनीति उनके हिसाब से तय हो जाए।

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