शर्मिष्ठा पनोली की गिरफ्तारी: सोशल मीडिया से लेकर संसद तक की गूंज

Edited By Shruti Jha, Updated: 01 Jun, 2025 04:18 PM

arrest of sharmistha panoli echo from social media to parliament

पुणे की लॉ स्टूडेंट और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर शर्मिष्ठा पनोली को शनिवार को कोलकाता पुलिस ने गुरुग्राम से गिरफ्तार किया। उन पर आरोप है कि उन्होंने 'ऑपरेशन सिंदूर' पर एक वीडियो पोस्ट किया, जिसमें बॉलीवुड सितारों, विशेषकर खान अभिनेताओं की चुप्पी पर...

शर्मिष्ठा पनोली की गिरफ्तारी: सोशल मीडिया से लेकर संसद तक की गूंज

पुणे की लॉ स्टूडेंट और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर शर्मिष्ठा पनोली को शनिवार को कोलकाता पुलिस ने गुरुग्राम से गिरफ्तार किया। उन पर आरोप है कि उन्होंने 'ऑपरेशन सिंदूर' पर एक वीडियो पोस्ट किया, जिसमें बॉलीवुड सितारों, विशेषकर खान अभिनेताओं की चुप्पी पर सवाल उठाए गए थे। इस वीडियो को भड़काऊ और सांप्रदायिक माना गया, जिसके चलते उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई।

शर्मिष्ठा ने वीडियो डिलीट कर माफी मांगी, लेकिन इसके बावजूद उन्हें गिरफ्तार कर कोलकाता लाया गया और 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा गया। उन पर भारतीय न्याय संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं, जिनमें समुदायों के बीच वैमनस्य फैलाना और धार्मिक भावनाएं आहत करना शामिल है।

 कंगना रनौत का समर्थन

बॉलीवुड अभिनेत्री और बीजेपी सांसद कंगना रनौत ने शर्मिष्ठा पनोली का समर्थन किया है। उन्होंने इंस्टाग्राम स्टोरी के माध्यम से कहा कि भले ही शर्मिष्ठा की भाषा तीखी रही हो, लेकिन यदि उन्होंने माफी मांग ली है तो उन्हें और परेशान करने की आवश्यकता नहीं है। कंगना ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मुद्दा बताया और उनकी तत्काल रिहाई की मांग की।

राजनीतिक प्रतिक्रियाएं

इस मामले ने राजनीतिक हलकों में भी हलचल मचा दी है। बीजेपी नेता सुवेंदु अधिकारी ने टीएमसी सरकार पर "तुष्टीकरण की राजनीति" का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि यह कार्रवाई आगामी चुनावों को ध्यान में रखते हुए मुस्लिम वोट बैंक को साधने के लिए की गई है।

 सोशल मीडिया पर बहस

शर्मिष्ठा की गिरफ्तारी के बाद सोशल मीडिया पर #ReleaseSharmistha ट्रेंड करने लगा। कुछ लोग इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला मान रहे हैं, जबकि अन्य इसे धार्मिक भावनाओं के खिलाफ की गई टिप्पणी के लिए उचित कार्रवाई बता रहे हैं। 

 निष्कर्ष

यह मामला अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, धार्मिक सहिष्णुता और सोशल मीडिया की जिम्मेदारी जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों को उजागर करता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि न्यायपालिका इस मामले में क्या रुख अपनाती है और यह घटना भविष्य में सोशल मीडिया पर होने वाली टिप्पणियों के लिए क्या मिसाल स्थापित करती है।

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