PBM अस्पताल की बदहाल तस्वीरें: सिस्टम की संवेदनहीनता

Edited By Kailash Singh, Updated: 04 Aug, 2025 01:23 PM

pictures of the dilapidated condition of pbm hospital

बीकानेर संभाग के सबसे बड़े सरकारी हॉस्पिटल, पीबीएम अस्पताल की कुछ ताज़ा तस्वीरें और घटनाएं एक बार फिर सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की कलई खोल रही हैं। यह वही अस्पताल है, जिसका नाम अक्सर राजस्थान के सबसे बड़े स्वास्थ्य केंद्र के रूप में लिया जाता है,...

बीकानेर संभाग के सबसे बड़े सरकारी हॉस्पिटल, पीबीएम अस्पताल की कुछ ताज़ा तस्वीरें और घटनाएं एक बार फिर सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की कलई खोल रही हैं। यह वही अस्पताल है, जिसका नाम अक्सर राजस्थान के सबसे बड़े स्वास्थ्य केंद्र के रूप में लिया जाता है, लेकिन यहां की जमीनी सच्चाई आमजन को झकझोर देती है।

लिफ्ट बंद, मरीजों को खींचते-घसीटते सीढ़ियों से ले जाया गया
ताजा मामला पीबीएम अस्पताल के एक वार्ड का है, जहां लिफ्ट खराब होने की वजह से गंभीर मरीजों को स्ट्रेचर पर सीढ़ियों से खींचते हुए दूसरे वार्ड तक पहुंचाया गया। यह दृश्य न केवल एक प्रशासनिक असफलता है, बल्कि सिस्टम की संवेदनहीनता का जीवंत उदाहरण है। ऐसा प्रतीत होता है जैसे आम जनता के दर्द से स्थानीय शासन-प्रशासन का कोई लेना-देना ही नहीं है।

इमरजेंसी वार्ड या वाहन पार्किंग?
रात के समय इमरजेंसी वार्ड के बाहर निजी गाड़ियों की कतारें लगी रहती हैं। यह स्थान जहां तुरंत इलाज की उम्मीद की जाती है, वहां अव्यवस्था के चलते वाहन पार्किंग का अड्डा बन चुका है। अगर किसी आपातकालीन एम्बुलेंस को तेज़ी से निकलना हो, तो ये खड़ी गाड़ियाँ जानलेवा बाधा बन सकती हैं।

कचरे में पड़ी करोड़ों की मशीनें
करोड़ों रुपए की लागत से खरीदी गई सीटी स्कैन मशीनें अस्पताल परिसर में कचरे की तरह फेंकी पड़ी हैं। इन उपकरणों का रखरखाव और संचालन नहीं होना न केवल संसाधनों की बर्बादी है, बल्कि मरीजों के इलाज में देरी और लापरवाही को भी दर्शाता है।

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    सरकारी बजट का पैसा आखिर जा कहां रहा है?
    राज्य सरकार हर वर्ष पीबीएम अस्पताल के लिए करोड़ों रुपए का बजट पास करती है, लेकिन जब अस्पताल की बुनियादी सुविधाएं ही ध्वस्त दिखाई देती हैं, तो सवाल उठता है कि यह पैसा जाता कहां है? यह प्रश्न अब जनता की सोच से आगे निकलकर जनप्रतिनिधियों और अफसरों की जवाबदेही तक पहुंचना चाहिए।

    जनता का विश्वास डगमगाया, व्यवस्था पर उठे सवाल
    इन तस्वीरों और घटनाओं ने आम जनता का विश्वास बुरी तरह डगमगा दिया है। जब एक संभागीय मुख्यालय का सबसे बड़ा हॉस्पिटल ही इस हाल में है, तो ग्रामीण और तहसील स्तर की चिकित्सा व्यवस्था की हालत का अंदाज़ा लगाया जा सकता है। सरकार के अच्छे काम भी ऐसी घटनाओं की वजह से आमजन की नजरों में निष्क्रिय नजर आने लगते हैं।

    पीबीएम अस्पताल की यह बदहाली किसी एक दिन की नहीं, बल्कि वर्षों से चली आ रही लापरवाही, भ्रष्टाचार और जवाबदेही के अभाव का परिणाम है। अब समय आ गया है कि सरकार न केवल बजट पास करे, बल्कि उसका पारदर्शी क्रियान्वयन और सख्त निगरानी भी सुनिश्चित करे।

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