Edited By Kailash Singh, Updated: 03 Jul, 2025 05:54 PM

राजस्थान के बीकानेर जिले ने एक महत्वपूर्ण वैज्ञानिक उपलब्धि हासिल की है। अब जिले में ही अत्याधुनिक डीएनए जांच सुविधा सुलभ हो गई है, जिससे अपराध अनुसंधान और न्यायिक प्रक्रिया में उल्लेखनीय तेजी और सटीकता आएगी। यह सुविधा अब स्थानीय स्तर पर उपलब्ध होने...
बीकानेर शुरू हुई अत्याधुनिक डीएनए जांच सुविधा, अपराध अनुसंधान और न्याय प्रणाली को मिलेगी नई दिशा
बीकानेर।राजस्थान के बीकानेर जिले ने एक महत्वपूर्ण वैज्ञानिक उपलब्धि हासिल की है। अब जिले में ही अत्याधुनिक डीएनए जांच सुविधा सुलभ हो गई है, जिससे अपराध अनुसंधान और न्यायिक प्रक्रिया में उल्लेखनीय तेजी और सटीकता आएगी। यह सुविधा अब स्थानीय स्तर पर उपलब्ध होने से पुलिस और न्याय प्रणाली दोनों को बड़ी राहत मिलेगी।
जयपुर के बाद बीकानेर राजस्थान की सबसे बड़ी लेबोरेट्री है
जहां इतने वृहद स्तर पर डीएनए जांच की सुविधा उपलब्ध है। इस सुविधा के लिए एफएसएल लैब में लगभग 5 करोड़ रुपये की लागत से अत्याधुनिक मशीनें स्थापित की गई हैं। संचालन के लिए प्रशिक्षित तकनीशियनों और अनुभवी कर्मचारियों की नियुक्ति की गई है।
लगभग 14 वर्षों बाद बीकानेर में डीएनए जांच सुविधा शुरू की गई है। अब तक जिले से प्रतिमाह 25–30 सैंपल जयपुर भेजे जाते थे, जिनकी रिपोर्ट आने में 1–2 महीने लग जाते थे। अब यह प्रक्रिया स्थानीय स्तर पर ही संभव होने से समय की बचत होगी और जांच व निर्णय प्रक्रिया में तेजी आएगी।
बीकानेर एफएसएल में पूर्व से बायोलॉजी, सेरोलॉजी, टॉक्सिकोलॉजी, फिजिक्स, ब्लास्टिक और कैमिस्ट्री जैसे परीक्षण किए जा रहे थे। अब इसमें डीएनए जांच भी शामिल हो गई है। निकट भविष्य में जोधपुर, कोटा, अजमेर, भरतपुर की एफएसएल प्रयोगशालाओं में भी यह सुविधा शुरू की जा रही है।
बीकानेर एफएसएल में फिलहाल 1530 केस लंबित हैं। वहीं, जयपुर स्थित स्टेट लैब में दिसंबर 2024 तक 36,000 से अधिक केस लंबित बताए गए हैं। बीकानेर में डीएनए जांच की सुविधा शुरू होने से न केवल स्थानीय पुलिस बल को बल मिलेगा, बल्कि पूरे संभाग की जांच प्रणाली को गति मिलेगी।
डीएनए जांच हत्या, बलात्कार, नवजात अदला-बदली, पितृत्व विवाद, मानव तस्करी, बम विस्फोट, आतंकवादी हमला जैसे गंभीर मामलों में अहम भूमिका निभाती है। इसमें रक्त, लार, वीर्य, हड्डी, बाल, दांत, त्वचा, भ्रूण जैसे जैविक साक्ष्यों से व्यक्ति की पहचान सुनिश्चित की जाती है।
भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 के लागू होने के बाद, 7 वर्ष से अधिक सजा वाले अपराधों में फॉरेंसिक जांच अनिवार्य कर दी गई है। ऐसे मामलों में वैज्ञानिक साक्ष्यों से न केवल अनुसंधान की सटीकता बढ़ती है, बल्कि अदालतों में पारदर्शिता और निष्पक्षता भी सुनिश्चित होती है। डॉ. वेंकटेश विश्वनाथन अतिरिक्त निदेशक, क्षेत्रीय एफएसएल ने कहा कि डीएनए जांच की सुविधा बीकानेर के लिए सिर्फ तकनीकी उन्नयन नहीं है, बल्कि यह एक क्रांतिकारी परिवर्तन है। इससे केसों की वैज्ञानिक रूप से पुष्टि आसान होगी और अदालतों में तकनीकी रूप से मजबूत साक्ष्य प्रस्तुत किए जा सकेंगे। हमारा प्रयास है कि हर गंभीर अपराध में फॉरेंसिक साक्ष्य को प्राथमिकता दी जाए ताकि दोषियों को दंड और निर्दोषों को न्याय मिल सके। बीकानेर में शुरू हुई यह सुविधा पूरे पश्चिमी राजस्थान को लाभान्वित करेगी।"
डीएनए तकनीक की उच्च सटीकता के कारण अब हत्या, दुष्कर्म, नवजात अदला-बदली, आतंकी गतिविधियों जैसे अपराधों में अपराधियों की पहचान करना कहीं अधिक आसान हो गया है। भले ही आरोपी कितना भी शातिर हो, जैविक साक्ष्य उसे कानून के शिकंजे में लाने में सक्षम होंगे।
अब पीड़ित परिवारों को रिपोर्ट के लिए जयपुर या उदयपुर के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। समय पर रिपोर्ट मिलने से केस की सुनवाई भी तेज़ होगी, जिससे आमजन को राहत मिलेगी और न्याय समयबद्ध ढंग से मिल सकेगा। यह सुविधा बीकानेर को न केवल वैज्ञानिक दृष्टि से समृद्ध बनाएगी, बल्कि प्रदेश में इसे एक प्रमुख फॉरेंसिक केंद्र के रूप में स्थापित करने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी।