Edited By Kuldeep Kundara, Updated: 08 Jun, 2025 07:28 PM

राजस्थान की राजनीति एक बार फिर गुर्जर आंदोलन की तपिश से गर्म हो गई है। भरतपुर के पीलूपुरा में रविवार को हुए गुर्जर समाज की महापंचायत के बाद, आंदोलन ने अप्रत्याशित मोड़ ले लिया। सैकड़ों की भीड़ सीधे दिल्ली-मुंबई रेलवे ट्रैक पर जा डटी और एक पैसेंजर...
राजस्थान की राजनीति एक बार फिर गुर्जर आंदोलन की तपिश से गर्म हो गई है। भरतपुर के पीलूपुरा में रविवार को हुए गुर्जर समाज की महापंचायत के बाद, आंदोलन ने अप्रत्याशित मोड़ ले लिया। सैकड़ों की भीड़ सीधे दिल्ली-मुंबई रेलवे ट्रैक पर जा डटी — और एक पैसेंजर ट्रेन को रोक दिया। हालांकि गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के अध्यक्ष विजय बैंसला ने महापंचायत खत्म करने की घोषणा की, लेकिन भीड़ ने बैंसला के फैसले को नकार दिया। आंदोलनकारियों का सीधा संदेश है – "हम किसी नेता की नहीं, अपने हक की सुनेंगे। ये आर-पार की लड़ाई है!"
गुर्जर समाज की ये चार प्रमुख मांगे हैं
एमबीसी आरक्षण को नौवीं अनुसूची में शामिल किया जाए
सरकारी नौकरियों में रोस्टर प्रणाली में सुधार हो
देवनारायण योजना का सही तरीके से क्रियान्वयन हो
आंदोलन से जुड़े सभी मुकदमे वापस लिए जाएं
अधिकारियों की सांसें थमीं, पुलिस अलर्ट मोड में
भरतपुर एसपी मृदुल कच्छावा और कलेक्टर अमित यादव ने मोर्चा संभाल लिया है। रेलवे ट्रैक पर सुरक्षा बल बढ़ा दिए गए हैं और प्रशासन समाज के नेताओं से लगातार संवाद साधने की कोशिश में जुटा है। लेकिन धरना दे रहे लोगों का कहना है: "सरकार मसौदा देकर बहला नहीं सकती। जब तक लिखित में समाधान नहीं मिलेगा, हम हटने वाले नहीं हैं।" यह घटनाक्रम साल 2008 के उस ऐतिहासिक आंदोलन की याद दिलाता है, जब पीलूपुरा में रेल रोको आंदोलन ने देशभर में हलचल मचा दी थी। क्या 2025 का यह आंदोलन उसी राह पर बढ़ रहा है? अगर सरकार ने जल्द ठोस निर्णय नहीं लिया, तो गुर्जर समाज ने साफ चेतावनी दी है "अब रेल ही नहीं, सड़कें भी जाम होंगी!" स्थिति लगातार गंभीर होती जा रही है। पीलूपुरा से उठी यह चिंगारी कहीं राजस्थान की राजनीति को फिर से न झुलसा दे — इस पर सबकी नजरें टिकी हैं।