महाराजा सूरजमल बृज विश्वविद्यालय का पंचम दीक्षान्त समारोह आयोजित

Edited By Kuldeep Kundara, Updated: 29 Jul, 2025 04:53 PM

fifth convocation of maharaja surajmal brij university organized

जयपुर/भरतपुर । राज्यपाल एवं कुलाधिपति हरिभाऊ बागडे ने कहा कि ज्ञान का परिदृश्य पूरे विश्व में तेजी से परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है, वैज्ञानिक और तकनीकी अनुसंधान के चलते विश्वभर में कुशल कामगारों की जरूरत और मांग बढेगी

जयपुर/भरतपुर । राज्यपाल एवं कुलाधिपति हरिभाऊ बागडे ने कहा कि ज्ञान का परिदृश्य पूरे विश्व में तेजी से परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है, वैज्ञानिक और तकनीकी अनुसंधान के चलते विश्वभर में कुशल कामगारों की जरूरत और मांग बढेगी। युवाओं को तार्किक एवं रचनात्मक रूप से सोचते हुए विविध विषयों के बीच अर्न्तसंबंधों और बदलती परिस्थितियों के अनुसार स्वयं को तैयार करना होगा।

राज्यपाल हरिभाऊ बागडे मंगलवार को बीडीए ऑडिटोरियम में महाराजा सूरजमल बृज विश्वविद्यालय के पंचम दीक्षान्त समारोह में सम्बोधित कर रहे थे।  राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालयों में बौद्धिक क्षमता के आंकलन की सुव्यवस्थित पद्धति होनी चाहिए जिससे युवाओं के कौशल एवं ज्ञान का पारदर्शिता से आंकलन हो सके। उन्होंने कहा कि शिक्षा एक बीज की भांति है जो निरंतर जीवन को निखारने का कार्य करती है। जिस प्रकार बीज एक पेड़ बनकर समाज को ऑक्सीजन, फल, फूल, छाया, ईंधन आदि देने का कार्य करता है उसी प्रकार शिक्षा प्राप्त करने वाले को भी अपनी ज्ञान का उपयोग समाज की प्रगति में करना चाहिये। शिक्षा का उद्देश्य जीविकोपार्जन तक सीमित नहीं रहना चाहिए बल्कि इसका उपयोग समाज को दिशा देने एवं उत्थान के लिए होना चाहिए।

उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति एवं पुरातन शिक्षा पद्धति विश्वभर में अग्रणी रही है, उच्च शिक्षा के लिए गुरूकुल परम्परा शोध, अनुसंधान के साथ जीवन के सर्वांगीण विकास का आधार होती थी। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों में हमारी पुरातन संस्कृति एवं शिक्षा को संरक्षित करते हुए शोध कार्य को प्रोत्साहन मिले इस दिशा में कार्य करना चाहिए। अनुसंधान नये ज्ञान का सृजन करता है इसे समाज के उत्थान में काम लेकर युवा देश के विकास में भागीदार बनें। 

राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने विश्वविद्यालय के शिक्षाविदों को आह्वान किया कि शिक्षा को उन्मुक्त बनाकर अधिक से अधिक फैलाऐं, जितना विस्तार होगा युवाओं में उतना ही बौद्धिक क्षमता का विकास होगा। उन्होंने कहा कि युवाओं को हमारी संस्कृति एवं अनुसंधान पद्धति पर गर्व हो इसके लिए विश्वविद्यालयों को कार्य योजना बनाकर आगे बढने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि न्यूटन ने गुरूत्वाकर्षण का सिद्धांत 16वीं सदी में दिया था जबकी भास्कराचार्य ने लीलावती ग्रंथ में काफी पहले ही सौरमंडल में गुरूत्वाकर्षण के बारे में बता दिया था। उन्होंने कहा कि जब विश्व में उच्च शिक्षा के लिए 6 विश्वविद्यालय हुआ करते थे उस समय भारत में दो विश्वविद्यालय नालंदा एवं तक्षशिला विद्यमान थे जिनमें विदेशी विद्यार्थी भी विद्या प्राप्त करने आते थे। उन्होंने कहा कि समारोह में बालिकाओं की संख्या अधिक है हर क्षेत्र में नारी शक्ति अपनी पहचान सिद्ध कर रही है।

उपमुख्यमंत्री डॉ. प्रेमचंद बैरवा ने कहा कि विश्वविद्यालय ज्ञान का प्रकाश फैलाने वाले आलोक रहे हैं यहीं से ज्ञान का प्रकाश विद्यार्थियों के जरिये चहुंओर फैलता है। उन्होंने कहा कि आचार्य शास्त्रों के ज्ञान के सत्य को अपने विद्यार्थियों में संप्रेषित कर उन्हें बौद्धिक सामर्थ्य के साथ तैयार करें जिससे समाज को नई दिशा मिल सके। विश्वविद्यालय के कुलगुरू प्रोफेसर त्रिभुवन शर्मा ने विश्वविद्यालय की उपलब्धियों के बारे में जानकारी दी।  
 

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