Edited By Kailash Singh, Updated: 27 Jan, 2025 02:34 PM
राजस्थान के बारां जिले के राजकीय शहीद राजमल मीणा जिला अस्पताल में शनिवार को डिलीवरी के दौरान गलत इंजेक्शन लगाने से प्रसूता की मौत के बाद जैसे ही मृतका का शव रविवार दोपहर बारां पहुंचा तो आक्रोषित ब्राह्मण समाज के लोगों ने पुलिस की मौजूदगी में...
बारां, 27 जनवरी (दिलीप शाह)। राजस्थान के बारां जिले के राजकीय शहीद राजमल मीणा जिला अस्पताल में शनिवार को डिलीवरी के दौरान गलत इंजेक्शन लगाने से प्रसूता की मौत के बाद जैसे ही मृतका का शव रविवार दोपहर बारां पहुंचा तो आक्रोषित ब्राह्मण समाज के लोगों ने पुलिस की मौजूदगी में एंबुलेंस से आए शव को बारां- कोटा रोड पर ही रोक लिया। काफी देर तक हंगामा बरपा। बाद में लोग एंबुलेंस को लेकर जिला अस्पताल पहुंचें, फिर न्याय की मांग को लेकर अस्पताल के गेट पर धरना-प्रदर्शन पर उतर गएं। बताया गया कि बारां जिला अस्पताल में शनिवार को डिलीवरी के दौरान गलत इंजेक्शन लगाने से गर्भवती महिला की अचानक तबीयत बिगड़ गई। डॉक्टरों के रेफर करने पर कोटा ले जाते समय महिला ने दम तोड़ दिया। कोटा में पोस्टमॉर्टम के बाद परिजन जब रविवार को शव बारां अस्पताल लेकर आ रहे थे, लेकिन आक्रोशित समाज के लोगों ने एम्बुलेंस को कोटा रोड ओवरब्रिज के पास रोक दिया। काफी नोकझोंक के बाद पुलिस ने एम्बुलेंस को अस्पताल जाने दिया। इसके बाद परिजनों ने दोषी डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ पर कार्रवाई और 50 लाख रुपए मुआवजे की मांग को लेकर अस्पताल के बाहर धरना - प्रदर्शन शुरू कर दिया। ब्राह्मण समाज के गणमान्य प्रतिनिधियों एवं परिजनों ने जिला कलेक्टर को अपनी कार्रवाई से संतुष्ट करने के लिए मौके पर बुलाने की जिद्द की। तो अतिरिक्त जिला कलेक्टर दिव्यांशु शर्मा तथा एडिशनल एसपी राजेश चौधरी अस्पताल पहुंचे और प्रदर्शनकारियों से वार्तालाप की। अधिकारियों ने मामले की जांच के लिए प्रशासनिक अधिकारी के नेतृत्व में 5 सदस्यीय डॉक्टर्स की कमेटी गठित करने, दो डॉक्टर्स को बारां अस्पताल से हटाने और अन्य मांगों को लेकर उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया। इसके बाद धरना समाप्त किया। जानकारी के अनुसार सत्संग भवन गली निवासी कोनिका पत्नी लेखराज शर्मा को प्रसव पीड़ा के चलते जिला अस्पताल के मातृ एवं शिशु विभाग में भर्ती कराया गया था। लेबर रूम में डिलीवरी की प्रक्रिया के दौरान चिकित्सकों द्वारा दिए गए इंजेक्शन के बाद कोनिका शर्मा की हालत अचानक बिगड़ने लगी और वह बेहोश हो गई। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए चिकित्सकों ने उसे कोटा रेफर कर दिया, लेकिन रास्ते में ही महिला की मौत हो गई। रविवार को कोटा में पोस्टमॉर्टम के बाद परिजन एम्बुलेंस से शव बारां जिला अस्पताल लेकर आ रहे थे, तब पुलिस ने उन्हें कोटा रोड ओवर ब्रिज के पास रोक लिया। इस घटना से नाराज परिजनों और स्थानीय लोगों की पुलिस के साथ तीखी नोकझोंक हुई। पुलिस शव को सीधे श्मशान ले जाना चाहती थी, जबकि परिजन पहले जिला अस्पताल ले जाना चाहते थे। स्थिति को बिगड़ता देख पुलिस को एम्बुलेंस को अस्पताल जाने की अनुमति देनी पड़ी। सैकड़ों लोग पैदल चलकर नारेबाजी करते हुए अस्पताल पहुंचे और वहां धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया। परिजनों का आरोप है कि उन्होंने पहले ही चिकित्सकों को मरीज की एलर्जी के बारे में सूचित कर दिया था। फिर भी डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ ने लापरवाही बरतते हुए इंजेक्शन दे दिया, जिससे प्रसूता के बेहोश होने के बाद मौत हो गई। इतना ही नहीं, अस्पताल प्रशासन ने मौत के बाद परिजनों को गुमराह करते हुए मरीज को कोटा रेफर कर दिया। आक्रोशित परिजन लापरवाह चिकित्सकों और नर्सिंग स्टाफ के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग करते रहें।प्रदर्शनकारियों ने अस्पताल रोड को जाम कर दिया है और न्याय मिलने तक धरना जारी रखने की चेतावनी दी है।
डॉक्टर को हटाने और जांच कमेटी गठित करने पर सहमति
प्रसूता की मौत के मामले में आक्रोशित परिजन ओर लोगों की ओर से जिला अस्पताल के सामने धरना प्रदर्शन किया। इस दौरान बड़ी संख्या में पुलिस जाब्ता भी तैनात रहा। इस दौरान एडीएम दिव्यांशु शर्मा, एएसपी राजेश चौधरी, सीएमएचओ डॉ. संजीव सक्सेना आदि मौके पर पहुंचे और परिजनों से समझाइश की।जिला अस्पताल के अनुसार अचानक बीपी कम होने से गर्भवती की तबीयत बिगड़ गई थी। उस समय गायनी विभागाध्यक्ष डा. मधु मीणा राउण्ड पर थी। उन्होंने मरीज को देखा। कुछ देर में अन्य चिकित्सक भी पहुंच गए थे। बीपी कम होने के बाद मरीज वेंट्रिकुलर टेकीकार्डिया में चला गया तो उसे वेंटिलेटर पर लिया। सभी चिकित्सकों ने काफी प्रयास किए। उसकी नाजुक हालत को देखते हुए उसे कोटा रैफर कर दिया था, लेकिन परिजन काफी देर बाद उसे ले जाने को तैयार नहीं हुए। यहां से कोनिका को वेंटिलेटर पर भेजा गया, तब उसकी पल्स चल रही थी।