स्कूल स्टाफ ने 'मेरा गांव-मेरा स्कूल' के तहत जनसहयोग से बदल दी स्कूल की सूरत

Edited By Kailash Singh, Updated: 29 Jul, 2025 04:09 PM

the school staff changed the look of the school with public cooperation

राजस्थान के बारां जिले के आदिवासी सहरिया बाहुल्य शाहाबाद क्षेत्र के बामनगांव तथा बारां पंचायत समिति के पाठेड़ा गांव में दो ऐसे भी राजकीय उच्च माध्यमिक सरकारी स्कूल है, जो ग्रामवासियों तथा स्कूल स्टाफ के सहयोग से स्कूल परिसर में हरियाली मुस्कुराती...

स्कूल स्टाफ ने 'मेरा गांव-मेरा स्कूल' के तहत जनसहयोग से बदल दी स्कूल की सूरत
बारां, 29 जुलाई (दिलीप शाह)। राजस्थान के बारां जिले के आदिवासी सहरिया बाहुल्य शाहाबाद क्षेत्र के बामनगांव तथा बारां पंचायत समिति के पाठेड़ा गांव में दो ऐसे भी राजकीय उच्च माध्यमिक सरकारी स्कूल है, जो ग्रामवासियों तथा स्कूल स्टाफ के सहयोग से स्कूल परिसर में हरियाली मुस्कुराती है, फूलों की खुशबू बिखरती है और बच्चों की हंसी गूंजती है। यह कोई कल्पना नहीं, बल्कि बारां जिले के दोनो इन राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय बामनगवा तथा पाठेडा गांव के स्कूल की असली कहानी है जिसने कुछ सालों में 'अपना गांव- अपना स्कूल' ग्रुप के माध्यम से खुद को पूरी तरह बदल डाला। उच्च माध्यमिक के यह सरकारी स्कूल निजी विद्यालयों से खूबसूरती में कम नहीं है। दरअसल, यह चमत्कारी बदलाव किसी जादू से नहीं, बल्कि मजबूत इरादों, कड़ी मेहनत और सामूहिक सहयोग से संभव हुआ। बामनगाव (शाहबाद) स्कूल के प्राचार्य, सरपंच और स्टाफ ने सबसे पहले स्कूल की सफाई और मरम्मत का बीड़ा उठाया। धीरे-धीरे स्थानीय लोगों, अभिभावकों और पंचायत प्रतिनिधियों को भी इस मुहिम से जोड़ा। छात्रों को पौधों की देखभाल की जिम्मेदारी दी और शिक्षकों ने श्रमदान कर परिसर को हरा-भरा बनाया। स्कूल के हालात सुधारने की दृष्टि से ,मेरा गांव, मेरा स्कूल, ग्रुप के तहत 5 लाख की धनराशि जनसहयोग तथा स्कूल स्टाफ से एकत्रित कर स्कूल की छत से टपकते बारिश के पानी से बचाव के लिए निर्माण कार्य, फर्नीचर तथा रास्ते के लिए मिट्टी बिछवाने का कार्य, गार्डन तैयार करवाया। इतना ही नहीं स्कूली बच्चों को झांसी, ओरछा, चितौड़ का भ्रमण करवा कर उन्हें वहां के इतिहास से अवगत भी करवाया। इस राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय स्कूल के वरिष्ठ अध्यापक प्रदीप शर्मा ने बताया कि स्कूल में लगभग 325 विद्यार्थी हैं। पहले 6 का स्टाफ था जो अब 16 का हो गया है। सरपंच प्रताप सिंह सिंघे, प्राचार्य सोहनलाल प्रजापति का भी स्कूल विकास में काफी सहयोग रहता है।
बदला पाठेडा स्कूल का नजारा
ऐसे ही गांव बारां के समीप पाठेड़ा गांव के उच्च माध्यमिक स्कूल की स्थिति भी अन्य सरकारी स्कूलों जैसी ही बदहाल थी। कचरे के ढेर, सूखा और बेरंग कैंपस। अधिकारियों की उपेक्षा ने हालात और बिगाड़ दिए थे, लेकिन निजी प्रयासों और खर्च से यह स्कूल पूरी तरह बदल गया। अब यहां न सुसज्जित भवन है बल्कि एक सुंदर बगीचा भी है। बदलाव की बयार ने न केवल स्कूल को साफ कराया, बल्कि उसे शिक्षा और सुंदरता का आदर्श केंद्र बना दिया।
विद्यालय में प्रधानाचार्य दुष्यंत सक्सेना ने बताया कि स्कूल स्टाफ तथा गांव के जनसहयोग से 4 लाख के विकास कार्य इस विद्यालय में हुए। छत और डोलियों के कार्य के साथ स्कूल की आवश्यकता अनुरूप निर्माण कार्य करवाए गए। स्कूल में भव्य गार्डन तथा सरस्वती का मंदिर भी बनवाया गया है। बातचीत में उन्होंने बताया कि उनका कार्य आसान नहीं था।
फोटो बारां। पाठेडा गांव का स्कूल भवन तथा गार्डन, बामनगाव स्कूल में प्रार्थना
 

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