युवा नेताओं में छाया राजनीति का जुनून- कोई दबंगई से कर रहा वार, तो एक लुटा रहा प्यार

Edited By Kailash Singh, Updated: 22 Jul, 2025 04:05 PM

passion for politics among young leaders

आज के दौर में राजनीति का जुनून छात्र, युवा नेताओं में इस कदर हावी है कि कोई दबंगई के दम पर लोगों की भीड़ के साथ व्यापक समर्थन से इंकलाब जिंदाबाद के नारे के साथ परिवर्तन की आवाज बुलंद कर रहा हैं। वहीं दूसरी ओर बारां का एक युवा नेता ऐसा भी हैं जो...

युवा नेताओं में छाया राजनीति का जुनून- कोई दबंगई से कर रहा वार, तो एक लुटा रहा प्यार
बारां, 22 जुलाई (दिलीप शाह)। आज के दौर में राजनीति का जुनून छात्र, युवा नेताओं में इस कदर हावी है कि कोई दबंगई के दम पर लोगों की भीड़ के साथ व्यापक समर्थन से इंकलाब जिंदाबाद के नारे के साथ परिवर्तन की आवाज बुलंद कर रहा हैं। वहीं दूसरी ओर बारां का एक युवा नेता ऐसा भी हैं जो नम्रता के साथ बिना किसी तड़क भड़क के सादगी भरे जीवन शैली से दो बार विधायक बन कर जनता के दिलों पर छाने को प्रयासरत है। जो 40 फीसदी सहरिया जनजाति बाहुल्य किशनगंज शाहाबाद विधानसभा क्षेत्र की जनता की नजरों में आपणो ललित के नाम से पहचान बना बैठा हैं। यहां बता दूं कि आठ माह पूर्व एसडीएम थप्पड़ कांड से सुर्खियों में आए बारां जिले के ननावता (अटरू) निवासी राजस्थान यूनिवर्सिटी के महासचिव रहे, नरेश मीणा जमानत पर रिहा होने के बाद अपने दबंग राजनीतिक तेवर  से पूर्वी राजस्थान की राजनीति में तूफान खड़ा किए हुए है। अपने समर्थकों तथा भीड़ भाड़ के लावलश्कर के साथ अपने गृह जिले बारां की यात्रा के बाद हाड़ौती में जन क्रान्ति यात्रा पर निकल पड़े हैं। जिनका कहना है कि इंकलाब जिंदाबाद का हमारा नारा राजस्थान की राजनीति में परिवर्तन लायेगा।दूसरी ओर छात्र जीवन से अचानक राजनीतिक मैदान में भाजपा से उनके पिता पूर्व विधायक हेमराज मीणा का टिकिट काटकर नये चेहरे के रूप में उतारे गए उनके पुत्र डा. ललित मीणा अपनी नम्रता से एक बार ही नहीं दूसरी बार विधायक बन कर सादगी पूर्ण कार्यशैली से किशनगंज शाहाबाद क्षेत्र की जनता की नजरों उभर रहे  रहे हैं।हालाकि, नेताजी की पहचान लग्जरी गाड़ी, क्रीज में कुर्ते पायजामे, निराले ठाठबाट और उनके साथ चलने वाली समर्थकों की भीड़ से की जाती है। लेकिन राजस्थान में ऐसा चलता फिरता विधायक ललित मीणा ऐसे ही विधायकों में शुमार हैं, जो जिस किसी से भी मिलते, पूरे उत्साह के साथ मिलते हैं और सामने वाला भी उनसे मिलने पर अपनापन महसूस करते है। प्रेमपूर्वक आत्मीयता से बात करना उनके स्वभाव में है। विधायक डा. ललित मीणा जिला मुख्यालय पर स्थित आवास पर बने सादगीपूर्ण ऑफिस में सुबह जनसुनवाई करते हैं। फिर घर से निकल कर रात को देर रात तक फील्ड में रहते लौटते हैं, यह दिनचर्या का हिस्सा है।सीएनजी से चलने वाली अर्टिगा उनकी गाड़ी है। अपने बारां निवास पर ही बनाए गए कार्यालय पर वही सामान्य सी दिखने वाली पुरानी कुर्सियां, न कोई विशेष साज सज्जा। सोफे वगैरह। इस बारे में जब उनसे जानना चाहा तो विधायक का कहना था कि इसकी पाठशाला तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ है। विधायक ललित मीणा का परिवार शिक्षित है। एक भाई और भाभी डॉक्टर हैं। तो दूसरा इंजीनियर है। खुद ललित मीणा भारतीय प्रशासनिक अधिकारी बनने की पढ़ाई कर रहे थे, लेकिन ऐन वक्त पर अपने पिता के स्थान पर मिले टिकट से वह पहली बार में 2013 में ही भाजपा के विधायक बन गए थे। फिर एक चुनाव हार कर 2023 में फिर विधायक बन गए।

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